सहज पन्थ को छोड़ कर, अपनाया हठ-योग।
जनहित के सद्कर्म में, सत्ता-शासन भोग।।
--
शासन करने में करो, अब मत हील-हवाल।
अमल घोषणापत्र पर, करो केजरीवाल।।
--
राजनीति से था किया, जब इतना अनुराग।
कड़ी चुनौती देख अब, रहा कर्म से भाग।।
--
आज समझ में आ गया, नीयत में था खोट।
अगले आम चुनाव में, नहीं मिलेंगे वोट।।
--
खुद को साबित कर रहा, वो बिल्कुल निर्दोष।
आँगन के गिनवा रहा, बोल-बोलकर दोष।।
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |

सुंदर सटीक !
जवाब देंहटाएंएकदम सही और सटीक बात करते दोहे...कुछ लोगों की आदत होती है कि वे केवल दूसरों की शिकायत ही कर सकते हैं, कोई काम नहीं कर सकते| बड़ी-बड़ी बातें करना और वास्तव के कुछ कार्य करना; दोनों में बहुत फर्क है....इन्हें भी अब विधान-सभा के बाद संसद दिख रही है, जनता को नाटक करके बेवकूफ बनाने में तो इन्होने सबको पीछे छोड़ दिया | इन्हें अब जनता की गाढ़ी कमाई का चन्दा चाहिए हालांकि ये लेन-देन नहीं करते,इन्हें संसद में जाना है, हालांकि ये राजनीति नहीं कर रहे,काम की बाकी गारंटी दुसरे दें ताकि ये हर जिम्मेदारी से मुक्त होकर केवल उन्हें भला-बुरा कह सके या ब्लैकमेल कर सकें और अपनी राजनीति चमका सकें, अब इन्हें अन्ना नहीं चाहिए क्योकि ये उन्हें भुना चुके हैं | आगे के लिए प्रयास किया था पर अन्ना शायद इनकी मंशा समझ चुके हैं....
जवाब देंहटाएंसामयिक सटीक !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट विरोध
new post हाइगा -जानवर
बहुत ही उम्दा सटीक दोहे ...!
जवाब देंहटाएंRECENT POST =: एक बूँद ओस की.
बहुत खूब ! मित्र , ईश्वर से प्रार्थना है कि राजनीति में कोई मसीहा आकार सत्ता-लोलुपता से हट कर सचमुच सुधार की ओर क़दम रक्खे !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर एवं सटीक दोहे.
जवाब देंहटाएंशासन करने में करो, अब मत हील-हवाल।
जवाब देंहटाएंअमल घोषणापत्र पर, करो केजरीवाल।।
sateek v sundar
ईश्वर उन्हें सद्बुद्धि दे...
जवाब देंहटाएंयुद्धाय कृतनिश्चय।
जवाब देंहटाएंचलिए समय से सद्बुद्धि आ गई, अब वाणी पर थोड़ा नियंत्रण रख लें और अपने कहे पर चलें तो शायद अब जनता को वाकई एक अच्छा विकल्प मिल जाए जिसकी बहुत जरूरत है...
जवाब देंहटाएं