आपाधापी
की दुनिया में,
ऐसे
मीत-स्वजन देखे हैं।
बुरे
वक्त में करें किनारा,
ऐसे कई
सुमन देखे हैं।।
धीर-वीर-गम्भीर
मौन है,
कायर केवल
शोर मचाता।
ओछी
गगरी ही बतियाती,
भरा घड़ा
कुछ बोल न पाता।
बरस न
पाते गर्जन वाले,
हमने वो
सावन देखे हैं।
बुरे
वक्त में करें किनारा,
ऐसे कई
सुमन देखे हैं।।
जब तक
है लावण्य देह में,
दुनिया
तब तक प्रीत निभाती।
माया-मोह
धरे रह जाते,
जब दिल
की धड़कन थम जाती।
सम्बन्धों
को धता बताते,
ऐसे घर-आँगन
देखे हैं।
बुरे
वक्त में करें किनारा,
ऐसे कई
सुमन देखे हैं।।
ऐसे भी
साहित्यकार हैं,
जो खुदगर्ज़ी
को अपनाते।
बने मील
के पत्थर जैसे,
लोगों
को ही पथ दिखलाते।
जिनका
अन्तस्थल पाहन सा,
वो माणिक-कंचन
देखे हैं।
बने मील
के पत्थर जैसे,
औरों को
ही राह बताते।
जो संवेदनशील
नहीं है,
वो मानव
दानव कहलाता।
रंग
बदलता गिरगिट जैसा,
अपना असली
“रूप” छिपाता।
अपने
बिरुए निगल रहे जो,
वो निष्ठुर उपवन देखे हैं।
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
गुरुवार, 26 दिसंबर 2013
"निष्ठुर उपवन देखे हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
यथार्थ का कटु चित्रण ....
जवाब देंहटाएंवाह
सत्य है !
जवाब देंहटाएंsahi baat sundarta ke saath kahee aapne...
जवाब देंहटाएंbadhai
saadar
bahut achchhe se apni baat kavita men kah di hai aapne...badhiya .
जवाब देंहटाएंसच को उजागर करती रचना !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट मेरे सपनो के रामराज्य (भाग तीन -अन्तिम भाग)
नई पोस्ट ईशु का जन्म !
जीवन का सत्य उजागर करती रचना.................
जवाब देंहटाएंजो संवेदनशील नहीं है,
जवाब देंहटाएंवो मानव दानव कहलाता।
रंग बदलता गिरगिट जैसा,
अपना असली “रूप” छिपाता।
अपने बिरुए निगल रहे जो,
वो निष्ठुर उपवन देखे हैं।
बहुत सुंदर रचना.
सम्बन्धों को धता बताते,
जवाब देंहटाएंऐसे घर-आँगन देखे हैं।
बुरे वक्त में करें किनारा,
ऐसे कई सुमन देखे हैं।।
***
कटु यथार्थ का सहज चित्रण...!
अच्छी शान्त और गंभीर प्रस्तुति है ! संसार की वास्तविकता उदघाटन सराहनीय है !
जवाब देंहटाएंआपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ कड़ियाँ (26 दिसंबर, 2013) में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,,सादर …. आभार।।
जवाब देंहटाएंकृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा