खो
गया जाने कहाँ है आचरण?
देश
का दूषित हुआ वातावरण।।
लूट, दंगा, दगाबाजी
की कयामत पल रही,
जमाखोरी, जालसाजी
की सियासत चल रही,
जुल्म
से पोषित हुआ पर्यावरण।
देश
का दूषित हुआ वातावरण।।
पाठ
जिसने अमन का जग को पढ़ाया,
धर्म
की निरपेक्षता का पथ दिखाया,
क्यों
नजर आता नही वो व्याकरण।
देश
का दूषित हुआ वातावरण।।
अस्त
पूरब में हुआ है क्यों उजाला सीख का,
आज
क्यों भाने लगा हमको निवाला भीख का,
सभ्यता
का फट गया क्यों आवरण?
देश
का दूषित हुआ वातावरण।।
|
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रविवार, 1 दिसंबर 2013
"दूषित हुआ वातावरण" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक')
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सत्य है !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन .....और यथार्थ भी
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति है आदरणीय-
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार-
yatharth kahi marmik rachana..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और यथार्थपरक रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक रचना ......
जवाब देंहटाएंआज के परिवेश के मुह पर एक जोरदार थप्पड़ है आपकी ये रचना.........
बदल गया है समय , आस्थाएं , मूल्य !
जवाब देंहटाएंसत्य ही !
namaste guru ji
जवाब देंहटाएंkhoobsurat rachna!
सभ्यता का फट गया क्यों आवरण?
जवाब देंहटाएंसादर
न जाने, क्या हुआ देश को।
जवाब देंहटाएं