25 दिसम्बर बड़ा दिन
हार्दिक शुभकामनाएँ
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दुखियों की सेवा करने को,
यीशू धरती पर आया।
निर्धनता में पलकर जग को
जीवन दर्शन समझाया।।
जन-जन को सन्देश दिया,
सच्ची बातें स्वीकार करो!
छोड़ बुराई के पथ को,
अच्छाई अंगीकार करो!!
कुदरत के ज़र्रे-ज़र्रे में,
रहती है प्रभु की माया।
निर्धनता में पलकर जग को
जीवन दर्शन समझाया।।
मज़हब की कच्ची माटी में,
कुश्ती और अखाड़ा क्यों?
फल देने वाले पेड़ों पर,
आरी और कुल्हाड़ा क्यों?
क्षमा-सरलता और दया का,
पन्थ अनोखा बतलाया।
निर्धनता में पलकर जग को
जीवन दर्शन समझाया।।
हत्या-लूटपाट करना,
अपराध घिनौना होता है।
महिलाओं का कोमल तन-मन,
नहीं खिलौना होता है।
कभी जुल्म मत ढाना इनपर,
ये हम सबकी हैं जाया।
निर्धनता में पलकर जग को
जीवन दर्शन समझाया।।
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बहुत ही सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंमैरी क्रिसमस !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
मैरी क्रिसमस...
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26-12-2013 को चर्चा मंच की चर्चा - 1473 ( वाह रे हिन्दुस्तानियों ) पर दिया गया है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
आभार
बहुत सुन्दर मैरी क्रिसमस
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट मेरे सपनो के रामराज्य (भाग तीन -अन्तिम भाग)
नई पोस्ट ईशु का जन्म !
अपने भावों समाहित कर सुंदर रचना...!
जवाब देंहटाएंRecent post -: सूनापन कितना खलता है.
आपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ कड़ियाँ (25 दिसंबर, 2013) में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,,सादर …. आभार।।
जवाब देंहटाएंकृपया "ब्लॉग - चिठ्ठा" के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग - चिठ्ठा