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बहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (21-12-2013) "हर टुकड़े में चांद" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1468 पर होगी.
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!
बहुत सुंदर 1950 बहुत खूब बधाई :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंमिली गन्ध मधु की, चले आये भँवरे
जवाब देंहटाएंमेरी बेबसी देख, हँसता चमन है
....बहुत सही ..बहुत बढ़िया रचना...
वाह ! बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...!
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RECENT POST -: हम पंछी थे एक डाल के.
१९५० वीं पोस्ट कि बधाई !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य ( भाग २ )
सुन्दर...
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जवाब देंहटाएंपरेशान नदियाँ है, नालों के डर से.
करने को दूभर हुआ आचमन है
खूब सूरत अंदाज़ अर्थ और भाव।
बहुत ही सुन्दर कविता।
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