हिन्दी साहित्य का
उभरता हुआ युवा सितारा
अमन चाँदपुरी नहीं रहा...
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मेरे लिए यह व्यक्तिगत क्षति है।
11 अप्रैल, 2016 कौ मैंने
खटीमा में आयोजित दोहाकार समागम में
उन्हें “दोहा शिरोमणि से अलंकृत किया था।
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श्रद्धांजलि स्वरूप उन्हीं की एक क्षणिका प्रस्तुत है-
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अमन चाँदपुरी की छणिका
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'मानव जीवन'
कागज की कस्ती-सा है!
मानव का जीवन! पानी में बडे अराम से चले! पानी (कठिनाई) गर बरसे! देह गले! फिर चिता जले!
--- अमन चाँदपुरी
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शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2019
श्रद्धांजलि "अमन चाँदपुरी"
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कुहरे ने सूरज ढका , थर-थर काँपे देह। पर्वत पर हिमपात है , मैदानों पर मेह।१। -- कल तक छोटे वस्त्र थे , फैशन की थी होड़। लेक...
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सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
बेहद दुःखद।
जवाब देंहटाएंRIP
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (१३ -१०-२०१९ ) को " गहरे में उतरो तो ही मिलते हैं मोती " (चर्चा अंक- ३४८७) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
दुखद। श्रद्धाँजलि।
जवाब देंहटाएंबेहद दुखी का समाचार।
जवाब देंहटाएं