देवताओं के चित्र के, रखना इन्हें समीप।। -- दीपों की दीपावली, देती है सन्देश। घर-आँगन के साथ में, रौशन हो परिवेश।। -- पाकर बाती-नेह को, लुटा रहा है नूर। नन्हा दीपक कर रहा, अन्धकार को दूर।। -- लछमी और गणेश के, रहें शारदा साथ। चरणों में इनके सदा, रोज झुकाओ माथ।। -- कभी विदेशी माल का, करना मत उपयोग। सदा स्वदेशी का करो, जीवन में उपभोग।। -- मेरे भारतवासियों, ऐसा करो चरित्र। दौलत अपने देश की, रखो देश में मित्र।। |
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रविवार, 31 अक्तूबर 2021
दोहे "दीपों की दीपावली" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
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कुहरे ने सूरज ढका , थर-थर काँपे देह। पर्वत पर हिमपात है , मैदानों पर मेह।१। -- कल तक छोटे वस्त्र थे , फैशन की थी होड़। लेक...
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सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
Hindi Story
जवाब देंहटाएंmeri baate
Bhoot Ki kahani
Akabar Birbal
MPPSC
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (01 -11-2021 ) को 'कभी तो लगेगी लाटरी तेरी भी' ( चर्चा अंक 4234 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
अति उत्तम सृजन आ0
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं
जवाब देंहटाएं