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मंगलवार, 25 जनवरी 2022
गीत "मनाएँ कैसे हम गणतन्त्र" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
समसामयिक चिंतन करती रचना...
जवाब देंहटाएंआपने बिल्कुल सही कहा आदरणीय सर मनाए कैसे गणतंत्र... कितना बड़ा दुर्भाग्य है कि आज अधिकतर वही लोग तिरंगे को फहराएंगे जो हमारे देश हमारे समाज हमारे क्षेत्र को,जनता को लूट रहे हैं उन्हें अवसर मिलेगा तिरंगे को फहराने के लिए!छोट से लेकर बढ़े कार्यक्रम तक!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी सामयिक चिंतन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमनाना तो पड़ता ही है ऐसे लोगों का ही बोलबाला रहता है यहाँ भी
समसामयिक सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीय 🙏