नभ में छाये काले बादल।
मन भरमाते काले बादल।।
दिन में छाया है अँधियारा,
बादल से सूरज है हारा,
बौराये हैं काले बादल।
मन भरमाते काले बादल।।
चपला चम-चम चमक रही है,
आसमान मॆं दमक रही है,
बरस रहे हैं काले बादल।
मन भरमाते काले बादल।।
बादल होते हैं मतवाले,
जीवन जग को देने वाले,
बारिश लाते काले बादल।
मन भरमाते काले बादल।।
जब गरमी ज्यादा बढ़ जाती।
लू तन-मन को तब झुलसाती।
फिर गहराते काले बादल।
मन भरमाते काले बादल।।
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बुधवार, 24 जून 2020
बालगीत ‘फिर गहराये काले बादल’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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