--
सात सुरों के योग से, बन जाता संगीत।
योग हमारी सभ्यता, योग हमारी रीत।१।
--
अगर चाहते आप हो, पास न आये रोग।
रोज सुबह कर लीजिए, ध्यान लगा कर योग।।
मत-मज़हब का है नहीं, जिससे कुछ अनुबन्ध।
रखना ऐसे योग से, जीवन भर सम्बन्ध।।
मधुर कण्ठ से ही सदा, अच्छा लगता गीत।
योग हमारी सभ्यता, योग हमारी रीत।२।
--
सन्त हमारे देश के, अगर छोड़ दें भोग।
नहीं अदालत में चले, फिर उन पर अभियोग।।
सत्य-सनातन योग की, महिमा बड़ी अनन्त।
योगी को ही समझिए, अब तो असली सन्त।।
जो सिखलाता योग को, वो होता है मीत।
योग हमारी सभ्यता, योग हमारी रीत।३।
--
धन से हो जाता नहीं, कोई बहुत अमीर।
जग में वो धनवान है, जिसका स्वस्थ शरीर।।
दूषण फैला हर जगह, फैले घातक रोग।
शमन करेगा रोग को, जग में केवल योग।।
अपना आज सँवार लो, कर लो कर्म पुनीत।
योग हमारी सभ्यता, योग हमारी रीत।४।
--
बिगड़ गया वातावरण, बिगड़ा आज चरित्र।
ऐसे में तो योग ही, तन-मन करे पवित्र।।
दीर्घ आयु का विश्व में, एक मात्र आधार।
तभी जगत ने लिया, योगदिवस स्वीकार।।
मौसम के उपहार हैं, गरमी-पावस-शीत।
योग हमारी सभ्यता, योग हमारी रीत।५।
--
सात सुरों के योग से, बन जाता संगीत।
योग हमारी सभ्यता, योग हमारी रीत।।
--
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
शनिवार, 20 जून 2020
दोहागीत "जग में केवल योग" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि ...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (22-06-2020) को 'कैनवास में आज कुसुम कोठारी जी की रचनाएँ' (चर्चा अंक-3740) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
-रवीन्द्र सिंह यादव
बहुत सुंदर सृजन आदरणीय।
जवाब देंहटाएंसार्थक योग का महत्व समझाते सुंदर दोहे।
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल .मंगलवार (22 -6-21) को "योग हमारी सभ्यता, योग हमारी रीत"(चर्चा अंक- 4103) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
--
कामिनी सिन्हा
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंयोग की उपयोगिता को पदर्शित करने वाले हितकारी, रोचक और सरस दोहे !
जवाब देंहटाएंमौसम के उपहार हैं, गरमी-पावस-शीत।
जवाब देंहटाएंयोग हमारी सभ्यता, योग हमारी रीत।५।---बहुत ही गहन रचना आदरणीय।
'बहुत अच्छी सामयिक रचना प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवन्दन
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
योग की प्रेरणा देती सुंदर रचना।आदरणीय शास्त्री जी आपको मेरा नमन।
जवाब देंहटाएं