पेड़ लगाना धरा पर, मानव का है कर्म।
पर्यावरण सुधारना, हम सबका है धर्म।।
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हरितक्रान्ति से मिटेगा, धरती का सन्ताप।
पर्यावरण बचाइए, बचे रहेंगे आप।।
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प्राणवायु का पेड़ ही, होते हैं आधार।
पेड़ लगाकर कीजिए, धरती का सिंगार।।
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पेड़ भगाते रोग को, बनकर वैद्य-हकीम।
प्राणवायु देते हमें, बरगद, पीपल-नीम।।
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कहने से वातावरण, होगा नहीं पवित्र।
धरा बचाने के लिए, वृक्ष लगाओ मित्र।।
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जागरूक होगा नहीं, जब तक हर इंसान।
हरा-भरा तब तक नहीं, भू का हो परिधान।।
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कंकरीट जबसे बना, जीवन का आधार।
तबसे पर्यावरण की, हुई करारी हार।।
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पेड़ कट गये भूमि के, बंजर हुई जमीन।
प्राणवायु घटने लगी, छाया हुई विलीन।।
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नैसर्गिक अनुभाव का, होने लगा अभाव।
दुनिया में होने लगे, मौसस में बदलाव।।
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शुक्रवार, 5 जून 2020
दोहे "पर्यावरण दिवस" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आज की ये विपदाएं हमारे कुकर्मों का ही फल है
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (06 जून 2020) को 'पर्यावरण बचाइए, बचे रहेंगे आप' (चर्चा अंक 3724) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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रवीन्द्र सिंह यादव
बहुत ही सुंदर सर.
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