ठिठुरन से रक्षा करती हूँ , बार-बार यह कहती है।।
देखो अपनी गाँधी टोपी,
आन-बान भारत की है ये,
भारत का सिंहासन इनको,
टोपी वाले नेता का कद,
बिना पढ़े ही ये पण्डित,
राष्ट्र हेतु मर-मिटने का प्रण,
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शायद तभी आज के नेता टोपी पहनने में हिचकिचाते हैं.
जवाब देंहटाएंआपका ब्लॉग खुलने में 'इन्टरनेट एक्स्प्लोरर' में कुछ दिक्कत आ रही है.
ati uttam vyakhya ki hai topi ki.
जवाब देंहटाएंआपकी टोपी महिमा की कविता भी बडी शानदार है. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंरामराम.
यह भी बालगीत ही है!
जवाब देंहटाएंऔर
हर बार की तरह यह भी अच्छा है!
टोपी की हर बात निराली,
जवाब देंहटाएंटोपी है सौगात निराली!
जिसके सिर पर सज जाती यह,
करता वह हर मात निराली!