--कोरोना के काल
में, ऐसी मिली शिकस्त। |
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जवाब देंहटाएंदुख आये या सुख मिले, रखना मृदुल स्वभाव।
कर देते कड़वे वचन, सीधा दिल पर घाव।।
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जिसका होता है उदय, उसका होता अस्त।
अंग बुढ़ापे में सभी, हो जाते हैं पस्त।।
बेहतरीन सांगीतिक रचना शास्त्री जी की बधाई क्यों न आप गीता का सार दोहावली और गीतों में अभिव्यक्त करें -जो चांडाल ,स्वान में ,ब्रह्मज्ञानी ब्राह्मण में फर्क नहीं देखता समदृष्टि रखता है वास्तव में वही देखता है।
veerujan.blogspot.com
सुन्दर संदेश पूर्ण दोहे..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर नीतिपरक दोहे ।
जवाब देंहटाएंसुंदर सन्देश देते दोहे।
जवाब देंहटाएंदुख आये या सुख मिले, रखना मृदुल स्वभाव।
जवाब देंहटाएंकर देते कड़वे वचन, सीधा दिल पर घाव।।
सुन्दर संदेश देते दोहे....
समसामयिक समस्याओं को प्रतिबिंबित करते दोहे
जवाब देंहटाएंसाधुवाद आदरणीय 🙏
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (२०-०२-२०२१) को 'भोर ने उतारी कुहासे की शाल'(चर्चा अंक- ३९८३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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अनीता सैनी
दोनों हाथों से रहे, दौलत लोग समेट।
जवाब देंहटाएंफिर भी भरता है नहीं, उनका पापी पेट।।
...सच कमबख्त दौलतखोरों की दौलत की भूख कभी खत्म ही नहीं होती
बहुत अच्छी सामयिक रचना प्रस्तुति
सुंदर संदेश देती रचना आदरणीय सर,सादर नमन
जवाब देंहटाएंसंदेश पार्क दोहे ।
जवाब देंहटाएंपरक / पार्क की जगह पढा जाए ।
जवाब देंहटाएंसुंदर ! यथार्थ पर प्रेरक सृजन सुंदर भाव पूर्ण।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम।
सादर।
वाह, सुन्दर, सामयिक दोहे!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर सराहनीय
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर यथार्थ को दर्शाता दोहा अति उत्तम।
जवाब देंहटाएं