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पर्यावरण से खिलवाड़ की भारी कीमत मानव को चुकानी पड़ रही है
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (9-2-21) को "मिला कनिष्ठा अंगुली, होते हैं प्रस्ताव"(चर्चा अंक- 3972) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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कामिनी सिन्हा
Ye vastvikta he. aapne bilkul sahi baat batai he. Saabhar Shastri ji
जवाब देंहटाएंलालच की हवस में इंसान अपनी ही जान लेता जा रहा है
जवाब देंहटाएंदरक रहे हैं ग्लेशियर, सहमा हुआ पहाड़।
जवाब देंहटाएंअच्छा होता है नहीं, कुदरत से खिलवाड़।।
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प्रान्त उत्तराखण्ड में, सहम गये हैं लोग।
हठधर्मी विज्ञान की, आज रहे हम भोग।।
आदरणीय, दोहों के माध्यम से आपने यथार्थ का जो चित्रण किया है, वह श्लाघनीय है।
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
सामायिक विषय! पर्यावरण से खिलवाड़ के दुष्परिणाम दर्शाते सटीक दोहे।
जवाब देंहटाएंसादर।
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएं