प्रेमदिवस सप्ताह का, दिवस दूसरा आज।। -- कल गुलाब का दिवस था, आज दिवस प्रस्ताव। लेकिन सच्चे प्रेम का, सचमुच दिखा अभाव।। -- राजनीति जैसा हुआ, आज प्रणय का खेल। झूठे हैं प्रस्ताव सब, झूठा मन का मेल।। -- मिला कनिष्ठा अंगुली, होते हैं प्रस्ताव। खींचातानी में भला, कैसे हो समभाव।। -- किया जिसे गत वर्ष था, दिल से अंगीकार। उससे क्यों इस साल में, नहीं रहा अब प्यार।। -- पश्चिम का किरदार ले, बदल गये हैं लोग। भोगवाद में लिप्त हो, छोड़ दिया है योग।। -- जीवनभर की प्रीत का, सिमट रहा आधार। रासरंग के लिए ही, उमड़ रहा अब प्यार।। -- ऋतुओं का राजा हमें, देता है सन्देश। दिल से सच्चे मिलन का, उपजाओ परिवेश।। -- छोड़ो ढोंग-ढकोसले, तजो पश्चिमी रीत। अमर हमेशा जो रहे, वो होती है प्रीत।। -- |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
सोमवार, 8 फ़रवरी 2021
दोहे "मिला कनिष्ठा अंगुली, होते हैं प्रस्ताव" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
कुहरे ने सूरज ढका , थर-थर काँपे देह। पर्वत पर हिमपात है , मैदानों पर मेह।१। -- कल तक छोटे वस्त्र थे , फैशन की थी होड़। लेक...
-
सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
सादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (9-2-21) को "मिला कनिष्ठा अंगुली, होते हैं प्रस्ताव"(चर्चा अंक- 3972) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
कामिनी सिन्हा
वन्दन
जवाब देंहटाएंऋतुओं का राजा हमें, देता है सन्देश।
दिल से सच्चे मिलन का, उपजाओ परिवेश
–सार्थक सामयिक सुन्दर लेखन
वाह बहुत सुंदर आदरणीय।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं