चॉकलेट को चोंच में, लेकर आये बाज़।। -- रंग पश्चिमी ढंग का, अपना रहा समाज। देते मीठी गोलियाँ, मित्रों को सब आज।। -- मन में भेद भरा हुआ, मुख में भरा मिठास। कृत्रिम सुमनों में भला, होगी कहाँ सुवास।। -- जहाँ चुभन देने लगे, पालक बनकर शूल। बोलो कैसे सुमन का, मन होगा अनुकूल।। -- चॉकलेट देकर नहीं, उगता दिल में प्यार। केवल मतलब के लिए, होती है मनुहार।। -- मीठी सी सौगात दे, बढ़ो प्रणय की राह। बढ़ती है विश्वास से, मधुर मिलन की चाह।। -- |
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वाह
जवाब देंहटाएंमन में भेद भरा हुआ, मुख में भरा मिठास।
जवाब देंहटाएंकृत्रिम सुमनों में भला, होगी कहाँ सुवास।।
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बहुत खूब..
सादर प्रणाम
हर दोहा एक सुन्दर सन्देश दे रहा है..सादर अभिवादन आपको शास्त्री जी..
जवाब देंहटाएंबढिया है।
जवाब देंहटाएंमीठी सी सौगात दे, बढ़ो प्रणय की राह।
जवाब देंहटाएंबढ़ती है विश्वास से, मधुर मिलन की चाह।।
सही कहा है....सुंदर दोहे
सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंव्यंग्य और तंज दोनो ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर आदरणीय।
भोली चिड़ियों के लिए, लाये नये रिवाज़।
जवाब देंहटाएंचॉकलेट को चोंच में, लेकर आये बाज़।।
हमारी युवा पीढ़ी और किशोर वय के बच्चे चेतावनी को समझ जाएँ तो अच्छा है।
वाह!लाजवाब सर।
जवाब देंहटाएंभोली चिड़ियों के लिए, लाये नये रिवाज़।
चॉकलेट को चोंच में, लेकर आये बाज़।।..वाह!
भोली चिड़ियों के लिए, लाये नये रिवाज़।
जवाब देंहटाएंचॉकलेट को चोंच में, लेकर आये बाज़।
–शेर नया लगा
वन्दन के संग साधुवाद