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आशाओं और अभिलाषाओं से सुसज्जित सुन्दर पुष्पगुच्छ जैसी मनोहर कविता..
जवाब देंहटाएंप्रकृति का बहुत सुंदर वर्णन
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सर।
जवाब देंहटाएंदेते हैं सन्देश हमें यह,
जवाब देंहटाएंअब बसन्त आने वाला है।
धूप गुनगुनी बोल रही है,
अब जाड़ा जाने वाला है।।
बहुत प्यारा संदेश...
साधुवाद आदरणीय 🙏
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह
वसंत की बहार देखते ही बनती है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रकृति चित्रण
जेठ और आषाढ़ माह में,
जवाब देंहटाएंफूल बसन्ती जैसे खिलते।
लू के गरम थपेड़े खा कर,
अमलतास के झूमर हिलते,
सुन्दर रचना....
इस टिप्पणी को लेखक ने हटा दिया है.
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (2-2-21) को "शाखाओं पर लदे सुमन हैं" (चर्चा अंक 3965) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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कामिनी सिन्हा
टेसू के पेड़ों पर भी तो,
जवाब देंहटाएंलाल अँगारे दहक रहे हैं।
अद्भुत् छटा वनों में फैली,
कुसुम डाल पर चहक रहे हैं।।
वाह!!!
अत्यंत सुंदर ऋतु वर्णन आदरणीय 🌹🙏🌹
- डॉ शरद सिंह
बहुत ही बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सृजन।
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