मानवता मर गयी विश्व में, सूरज है पथराया। डोल गये ईमान-धर्म, सारा जग है बौराया।। नदियों में बहने वाले, तालाबों को क्या पहचाने। महलों में रहने वाले, सर्दी-गर्मी को क्या जाने।। जगत बँधा है, प्रीत-रीत के अभिनव बन्धन में। ब्याल लिप्त रहता है, चन्दन के महके तन में।। जीवन एक सफर, इसमें यादें आती जाती है। रिश्तों की बुनियाद, राह में बनती जाती है।। जितना जख्म कुरेदोगे, उतना ही दर्द बढ़ेगा। जितनी धूल उड़ाओगे, उतना ही गर्द चढ़ेगा।। जोड़-तोड़ करके अपना परिवार चलाना होगा। वीराने गुलशन में सुन्दर सुमन खिलाना होगा।। |
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शनिवार, 4 जुलाई 2009
‘‘सुन्दर सुमन खिलाना होगा’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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बहुत भावपूर्ण कविता..
जवाब देंहटाएंसुख दुख जो कुछ भी मिल जाए,हंस कर गले लगाना होगा,
खुद थोड़ा जो गम भी मिले तो ,जग को तुम्हे हँसाना होगा,
वीराने गुलशन में सुन्दर सुमन खिलाना होगा।।
आशा बंधाती इस रचना के लिए हार्दिक बधाईयां।
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत सुन्दर , खासकर ये पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंजीवन एक सफर, इसमें यादें आती जाती है।
रिश्तों की बुनियाद, राह में बनती जाती है।।
जितना जख्म कुरेदोगे, उतना ही दर्द बढ़ेगा।
जितनी धूल उड़ाओगे, उतना ही गर्द चढ़ेगा।।
बहुत खूब, आपकी हर कविता में एक सन्देश छुपा रहता है.
जवाब देंहटाएंएक बहुत सुंदर संदेश देती आशा जगाती रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
जितना जख्म कुरेदोगे, उतना ही दर्द बढ़ेगा।
जवाब देंहटाएंजितनी धूल उड़ाओगे, उतना ही गर्द चढ़ेगा।।
बहुत ही खूबसूरती से व्यक्त इन पंक्तियों के माध्यम से दर्द और गर्द आभार्
aaderneey
जवाब देंहटाएंshashtee ji...
vartman samay....halat aour paristithiyo ko dekhte hue ekdum
sateek rachna....
aapko badhai deta
hu........
शास्त्री जी अद्भुत रचना है ये आपकी...हर शब्द दिल पर असर करता हुआ...बहुत बहुत बधाई इस शानदार रचना के लिए...
जवाब देंहटाएंनीरज
बहुर ही संदेश परक रचना. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
कमाल का लिखते हैं आप भाव पूर्ण............ शशक्त अभिव्यक्ति .......... गहरी रचना है shashtri जी.........
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