छोड़ा गाँव, शहर में आया,
अपनापन बन गया बनावट,
भोर हुई, चिड़ियाँ भी बोलीं,
चूल्हा-चक्की, रोटी-मक्की,
घूँघट में से नयी बहू का,
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aapne to yadon ko jivant kar diya.
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने यह यादें अब बस यूँ ही साथ है ..अच्छा लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंसास-ससुर को खाना खाने,
जवाब देंहटाएंको आवाज लगाना।
हँसी-ठिठोली, फागुन-होली,
याद बहुत आते हैं।।
वाह वाह शाश्त्री जी क्या सही खाका खींचा है गांव और वहां की यादों का. साथ ही वहां की होली भी याद दिलादी. बहुत शुभकामनाएं आपको.
रामराम.
bahut sundar
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी ।
जवाब देंहटाएंआपने इस गीत में मेरे ही गाँव की
तसवीर खींच कर रख दी।
मुबारकवाद।
सुन्दर चित्र गीत के लिए
जवाब देंहटाएंबधाई।
गाँवों की गलियाँ, चौबारे,
जवाब देंहटाएंयाद बहुत आते हैं।
कच्चे-घर और ठाकुरद्वारे,
याद बहुत आते हैं।।
इस गीत में गाँव का अच्छा
वर्णन किया गया है।
उत्तम गीतों की श्रंखला में यह गीत
जवाब देंहटाएंअपना विशेष स्थान रखता है।
आपका शब्द-चयन अच्छा है।
भोर हुई, चिड़ियाँ भी बोलीं,
जवाब देंहटाएंकिन्तु शहर अब भी अलसाया।
शीतल जल के बदले कर में,
गर्म चाय का प्याला आया।
खेत-अखाड़े, हरे सिंघाड़े,
याद बहुत आते हैं।।
गीत की ये लाइनें मन को छू गयी।
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंआपकी लेखनी को माँ सरस्वती
का आशीर्वाद प्राप्त है।
मुझे ये लाइनें बहुत अच्छी लगीं।
जवाब देंहटाएंघूँघट में से नयी बहू का,
पुलकित हो शरमाना।
सास-ससुर को खाना खाने,
को आवाज लगाना।
हँसी-ठिठोली, फागुन-होली,
याद बहुत आते हैं।।
अच्छा गीत लिखने के लिए बधाई।
bahut sundar geet !
जवाब देंहटाएंbade bhai ji,
जवाब देंहटाएंbada kamaal ka likhte hain
aap.jitni taareef karen kam hai.
अपनापन बन गया बनावट,
रिश्तेदारी टूट रहीं हैं।
प्रेम-प्रीत बन गयी दिखावट,
नातेदारी छूट रहीं हैं।
गौरी गइया, मिट्ठू भइया,
याद बहुत आते हैं।।
बहुत सुन्दर कविता!
जवाब देंहटाएंयादों में डुबो दिया. उम्दा अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंसुंदरतम् कल्पना को नमन!
जवाब देंहटाएंयह उच्चारण पर प्रकाशित
अब तक की श्रेष्ठ रचना है!
कविता पढ़ने के बाद
मन हुआ कि
शहर छोड़कर
तुरंत गाँव की ओर
बढ़ने लगूँ!
अच्छी रचना के लिए बधाई आप को
जवाब देंहटाएंबिलकुल सच ! लगा अपने ही मन के भाव पढ़ रही हूँ.....कचोट को इतनी सुन्दरता से अभिव्यक्ति दी है आपने कि क्या कहूँ..........बहुत बहुत बहुत ही सुन्दर गीत !!
जवाब देंहटाएंआभार..
आपने तो बहुत सुंदर रचना लिखा है यादों को लेकर जो हमेशा हमारे पास रहेंगी! बेहद ख़ूबसूरत! मैं आपकी रचना में डूब गई और बचपन के सुनहरे दिनों को याद करने लगी!
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