चिड़ियों के स्वर में चहक ही चहक है,
महकने-चहकने के दिन आ गये हैं।
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शास्त्री जी!
जवाब देंहटाएंचित्रों के माध्यम से गीत का प्रस्तुतिकरण अच्छा है।
बधाई।
अच्छे प्रणय-गीत के लिए
जवाब देंहटाएंमुबारकवाद।
फागुन का सुंदर काव्यात्मक स्वागत। बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंबसन्ती मौसम का अच्छा वर्णन है,
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना के लिए बधायी।
उड़े -फागुन के फिर से गगन में,
जवाब देंहटाएंखिले फूल फिर से, गुलाबी चमन में।
चमकने-निखरने के दिन आ गये हैं।
अब प्यार करने के दिन आ गये हैं।।
सुन्दर गीत।
सशक्त कविता के लिए,
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ।
इस मौसम के लिए आपका
जवाब देंहटाएंअच्छा प्रणय गीत है।
लिखते रहें।
मयंक जी !
जवाब देंहटाएंआपने सुन्दर गीत लिखा है।
धन्यवाद।
मयंक जी !
जवाब देंहटाएंआपने सुन्दर गीत लिखा है।
धन्यवाद।
मधुवन मे छायी, महक ही महक है,
जवाब देंहटाएंचिड़ियों के स्वर में चहक ही चहक है,
महकने-चहकने के दिन आ गये हैं।
अब प्यार करने के दिन आ गये हैं।।
वाह लाजवाब शबों मे यह सुंदर गीत और उतने ही सुंदर चित्र. बहुत धन्यवाद और शुभकामनाएं.
रामराम.
शबों = शब्दों.
जवाब देंहटाएं-ताऊ रामपुरिया
मधुवन मे छायी, महक ही महक है,
जवाब देंहटाएंचिड़ियों के स्वर में चहक ही चहक है,
...अच्छी पंक्तियां.
sach ..............pyar karne ke din aa gaye..........kavita padhkar jivant ho gaye pyar ke din.
जवाब देंहटाएंmausam hi aisa hai aur us par ye kavita un dinon ko jivant karti huyi..........waah, kya kahne.
bahut sundar rachna he..yu hi taarif nahi kar raha hu..mujhe maza aagaya..
जवाब देंहटाएंhindi me gazal yaa kavita ki baat hi kuchh aour hoti he..mithaas isme bhi bahut hoti he. aapki kalam me shakti he.
मिलने-मिलाने के दिन आ गए हैं,
जवाब देंहटाएंशिकवे मिटाने के दिन आ गए हैं!
सुमन में प्रणय की मधुर गंध भरकर,
सजने-सँवरने के दिन आ गये हैं!
बहुत अच्छा लगा आपके यहाँ आकर.
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