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बहुत ही कटु सत्य बखान करती हुई रचना. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सटीक रचना है ...
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी!
जवाब देंहटाएंबरगद के पेड़ की मिसाल देकर
आपने बुजुर्गों की हालत का अच्छा
बयान किया है।
मुबारकवाद।
मयंक जी! बरगद के पेड को इंगित
जवाब देंहटाएंकरके आपने भारत आर यहाँ के लोगों
की मनोस्थिति का अच्छा चित्रण किया है।
बधाई।
अकविता अच्छी है मित्रवर।
जवाब देंहटाएंमैंने ये रचना आपसे कई बार सुनी हैं।
जितनी बार सुनी है उतनी ही मन को भायी है।
बधाई स्वीकार करें।
भावपूर्ण रचना के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंआपका यह गद्यगीत अच्छा है।
जवाब देंहटाएंबधाई।
शास्त्री ji,
जवाब देंहटाएंye mere vichaar dekhen, dhanyavaad.
हमारे पूर्वजों ने वरगद इस लिए लगाया
क्योंकि वो देता है ठंडक और घनी छाया
हम उनकी रक्षा करना ही भूले हैं दोस्त
जहाँ खाते हैं वहीँ पर हम ने छेद बनाया
हम सबको अपनी सोच को बदलना होगा
वरना ठंडक और छाया को तरसना होगा
हम अपने लिए जीते हैं इसी लिए रोते है
यह सोच न बदली तो हमें भटकना होगा
बहुत ही कटु सत्य बखान करती रचना....!!
जवाब देंहटाएंbargad ka vriksh...........naam hi sab kuch kah gaya...........ek katu satya ko bayan karti rachna.aakhiri ki lines to dil ko jhakjhor gayin.
जवाब देंहटाएंaapki sari kabitye parhi bahut hi achchha laga bahut hi satik laga .
जवाब देंहटाएंarganikbhagyoday.blogspot.com
aapki sari kabitye parhi bahut hi achchha laga bahut hi satik laga .
जवाब देंहटाएंarganikbhagyoday.blogspot.com