मेरी गुड़िया जब से,
मेरे जीवन में आयी हो।
सूने घर आँगन में मेरे,
नया सवेरा लायी हो।
पतझड़ में बन कर बहार,
मेरे उपवन में आयी हो।
गुजर चुके बचपन को मेरे,
फिर से ले आायी हो।
सुप्त हुई सब इच्छाओ को,
तुमने पुनः जगाया।
पानी को मम कहना,
मुझको तुमने ही सिखलाया।
तुमने किट्टू को तित्तू ,
तुतली जबान से बतलाया।
मम्मी को मी पापा को पा,
कह अपना प्यार जताया।
मेरी लाली-पाउडर तुम,
अपने गालों पर मलती हो।
मुझको कितना अच्छा लगता,
जब ठुमके भर कर चलती हो।
सजे-सजाये घर को तुम,
पल भर मे बिखराती हो।
फिर भी गुड़िया रानी तुम,
मम्मी को हर्षाती हो।
छोटी सी भी चोट तुम्हारी,
मुझको बहुत रुलाती है।
तुतली-तुतली बातें तेरी,
मुझको बहुत लुभाती हैं।
दादा जी की ऐनक-डण्डा,
लेकर तुम छिप जाती हो।
फिर भी गुड़िया रानी तुम,
दादा जी को भाती हो।
अपनी भोली बातों से तुम,
सबके दिल पर छायी हो।
मेरी गुड़िया जब से,
मेरे जीवन में आयी हो।
सूने घर आँगन में मेरे,
नया सवेरा लायी हो।
Wah Attisundar
जवाब देंहटाएंBachpan ki tasveer saamne aa gayi
Apni "Gudiya" ki photo bhi laga dete
Aap Sabhi ko holi ki subhkamnaye
आपको होली की ढेर सारी बधाइयाँ।
जवाब देंहटाएंsundar kavita.
bhav achhe hain.
सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंबचपन का सजीव चित्रण।
होली की ढेर सारी बधाइयाँ।
सजीव चित्रण।
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनाएँ।
गुड़िया से संबंधित एक अच्छी रचना!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंआपको व आपके परिवार को होली की घणी रामराम.
बहुत सुन्दर कविता है।
जवाब देंहटाएंहोली की शुभकामनाएँ !
घुघूती बासूती
behad khubsurat,waah
जवाब देंहटाएंBACHPAN KA SAJEEV CHITRAN
जवाब देंहटाएंBAHUT HI SUNDAR