दर्द के वर्क पर
दर्द के वर्क पर गीत हमने लिखे,
रोज़ ही हम उन्हें गुनगुनाते रहे।
गाहे आबादियाँ गाहे बीरानियाँ,
नाम लिख-लिख के उनका हर रोज ही,
अपने दिल में उन्हें हम बसाते रहे।
उनकी खुश्यिों की खातिर कहाँ से कहाँ,
चल दिये छोड़ कर साथ कुछ इस तरह,
जिन्दगी भर हमें याद आते रहे।
बन के ‘बदनाम’ ओढ़ी है रूसवाइयाँ,
बन के ‘बदनाम’ ओढ़ी है रूसवाइयाँ,
जवाब देंहटाएंवो हमें हम उन्हें याद आते रहे।।
ye she'r bhi khub rahi ,wese to har she'r hi laajawaab hai ... badhaaeeyan..
arsh
बहुत ही सुंदरतम रचना, पढवाने के लिये आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बन के ‘बदनाम’ ओढ़ी है रूसवाइयाँ,
जवाब देंहटाएंवो हमें हम उन्हें याद आते रहे।।
सुंदर रचना, पढवाने के लिये आभार.
bahut sundar gazal...........har sher dil ko choo gaya
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
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तख़लीक़-ए-नज़र