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मन-सुमन वीरान उपवन थे पड़े,
जवाब देंहटाएंअब गुलों को चहचहाना आ गया है।
bahut hi sunder bhav khubsurat
शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत के लिए,
बधाई।
मयंक जी।
जवाब देंहटाएंगीत में भाव सुन्दर हैं । सबसे बड़ी विशेषता हैं कि लयबद्धता का कही भी हा्रस नही हुआ है।
शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंआपका गीत मनमोहक है।
बधाई।
आजकल ब्लाग पर कम ही लोग
जवाब देंहटाएंऐसे गीत लिखते हैं।
बधाई।
*मयंक जी,
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सरल गीत है।
*"हंगामा जी",
एक नज़र इस पर दें, उन कुछ कम लोगों में से एक।
http://sachmein.blogspot.com/2009/03/blog-post_06.html
बहुत बढिया है ...
जवाब देंहटाएंzindagi ke zakhm sare bhar gaye
जवाब देंहटाएंpyar karne ka zamana aa gaya hai
hasratein choone lagin aakash ko
pattharon ko geet gana aa gaya hai
kya khoobsoorat bhav hain............padhkar laga jaise
humko bhi gungunana aa gaya hai
aapka andaz-e-bayan humko bha gaya hai
आनंद आया पढ़कर। अच्छी रचना।
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