जीवन के इस सफर में,
करना न कामनाएँ,
पाया अगर है जीवन,
दिन चार चाँदनी के,
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एक सार्थक संदेश देती जीवंत रचना के लिये बधाई
जवाब देंहटाएंसुख-दुख, सरल-गरल को,
जवाब देंहटाएंचुपचाप होके पीना,
काजल की कोठरी में,
उजला ही रखना डेरा।।
bahut hi sarthak rachna .
jeevan urja bharaa sandesh deti hui.
badhayee.
लिखा तो बहुत अच्छा है और जीवन की सच्चाई भी यही है |
जवाब देंहटाएंपर और अच्छा होता अगर आप इसको सकारात्मक बनाते |
दिन चार जिन्दगी के
पर क्यों न आएगा सवेरा
yatharthbodh karati kavita............insaan itna samajh le to zindagi mein phir koi chah hi na rahe..........zindgi saral ho jaye aur jeene ka alag hi mazaa aaye.
जवाब देंहटाएंवाह जी बहुत सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएं---
चाँद, बादल और शाम
शायद यह भी जीवन चक्र का एक पहलू है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सुन्दर रचना,
जवाब देंहटाएंबधाई।
बेहतरीन संदेश-उम्दा रचना.
जवाब देंहटाएंसच्चाई का दीप जलाती हुई
जवाब देंहटाएंरचना के लिए
बधायी।
जीवन के इस सफर में,
जवाब देंहटाएंमरुथल उजाड़ होंगे,
खाई-कुएँ भी होंगे,
ऊँचे पहाड़ होंगे,
चलना ही जिन्दगी है,
करना नही बसेरा।।
जीवन की हकीकत को बयां करती हुई,
नायाब शायरी।
मुबारकवाद।
चार दिन की चाँदनी,
जवाब देंहटाएंफिर अंधेरी रात।
सुन्दर रचना, बधाई।
जरुर आएगा. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत पुरानी यह कविता है,
जवाब देंहटाएंअक्षर रास नही आते थे।
लेकिन अन्तस्तल में मेरे,
भाव उभर कर जाते थे।।
वही पुराने चावल फिर से,
ब्लाग जगत पर लाया हूँ।
टिप्पणीकारों ने अपनाया,
धन्यवाद को आया हूँ।।
बहुत बेहतरीन रचना ...जीवन के लिए सन्देश देती रचना
जवाब देंहटाएंमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
सार्थक रचना
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