फागों और फुहारों की।।
गूँज सुनाई देती अब भी,
बम-भोले के नारों की।।
पवन बसन्ती मन-भावन है,
मुदित हो रहा सबका मन है,
चहल-पहल फिर से लौटी है,
घर - आँगन, बाजारों की।।
जंगल की चूनर धानी है,
कोयल की मीठी बानी है,
परिवेशों में सुन्दरता है,
दुल्हिन के श्रंगारों की।।
होली लेकर, फागुन आया,
होली लेकर, फागुन आया,मीठी-हँसी, ठिठोली लाया,सावन जैसी झड़ी लगी है,प्रेम-प्रीत, मनुहारों की।।
जवाब देंहटाएंसुन्दर पंक्तियां. धन्यवाद.
शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंहोली के सदाबहार गीत के लिए,
शुभकामनाएँ।
होली का नायाब गीत।
जवाब देंहटाएंमुबारकवाद।
सुन्दर होली का गीत है।
जवाब देंहटाएंक्या अभी और गीत भी आपके ब्लाग पर
देखने को मिलेंगे?
आपके गीतों का मुझे इन्तजार रहता है।
जितना सुन्दर गीत उतने ही सुन्दर चित्र।
जवाब देंहटाएंबधाई।
मेरी दोनों बेटियों को
जवाब देंहटाएंहोली का गीत अच्छा लगा।
आप लिखते रहें।
जंगल की चूनर धानी है,
जवाब देंहटाएंकोयल की मीठी बानी है,
परिवेशों में सुन्दरता है,
दुल्हिन के श्रंगारों की।।
गीत सुन्दर,
चित्र सुन्दर,
भाव सुन्दर,
बधाई।
फागुनी गीत पढ कर आनन्द आ गया। बधाई।
जवाब देंहटाएंवाह, क्या बात है। जितनी सुन्दर फागुनी रचनाएँ, उतने ही प्यारे चित्र, मजा आ गया।
जवाब देंहटाएंlajawaab rachana,sundar chitra ke saath bahut badhai.
जवाब देंहटाएंकविता, ब्लाग और चित्र सब होली मय हो गये जी. बहुत सुंदर लग रहा है. शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत सुन्दर कविता है
जवाब देंहटाएं---
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
घोली गुझिया बोली में,
जवाब देंहटाएंहँसी-ठिठोली होली में!
चंचल गतियाँ होली में,
मीठी बतियाँ डोली में!
सुन्दर चित्र, सुन्दर कविता.
जवाब देंहटाएंबधाई.
गली-गाँव में धूम मची है,
जवाब देंहटाएंफागों और फुहारों की।।
मन में रंग-तरंग सजी है,
होली के हुलियारों की।।
सुन्दर पंक्तियां. धन्यवाद....