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सोमवार, 16 फ़रवरी 2009
जब याद किसी की आती है। (डॉ0 रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
जब याद किसी की आती है।
मन सब सुध-बुध खोता है,
जब याद किसी की आती है।
गुलशन वीराना लगता है,
पागल परवाना लगता है,
भँवरा दीवाना लगता है,
दिल में कुछ-कुछ होता है,
जब याद किसी की आती है।
मधुबन डरा-डरा लगता है,
जीवन मरा-मरा लगता है,
चन्दा तपन भरा लगता है,
दिल में कुछ-कुछ होता है,
जब याद किसी की आती है।
नदियाँ जमी-जमी लगती हैं,
दुनियाँ थमी-थमी लगती हैं,
अँखियाँ नमी-नमी लगती हैं,
दिल में कुछ-कुछ होता है,
जब याद किसी की आती है।
मन सब सुध-बुध खोता है,
जब याद किसी की आती है।।
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achhi rachna
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंअच्छे ब्लॉग पर सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबधाई हो