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गुरुवार, 12 फ़रवरी 2009
सीमाएँ मत पार कीजिए। (डॉ0 रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
सीमाएँ मत पार कीजिए।
वैलेन्टाइन के अवसर पर,
सच्चा-सच्चा प्यार कीजिए।।
भोले-भाले प्रेमी को भरमाना, अच्छी बात नही,
चिकनी-चुपड़ी बातों से बहलाना, अच्छी बात नही,
ख्वाब दिखा कर आसमान के,
धरती से, मत वार कीजिए।
वैलेन्टाइन के अवसर पर,
सच्चा-सच्चा प्यार कीजिए।।
जन्म-जिन्दगी के साथी से, झूठे वादे मत करना,
दिल के कोने में घुस कर, नापाक इरादे मत करना,
हाथ थाम कर साथ निभाना,
गंदा मत, व्यवहार कीजिए।
वैलेन्टाइन के अवसर पर,
सच्चा-सच्चा प्यार कीजिए।।
धड़कन जैसे बँधी साँस से, ऐसा गठबन्धन कर लो,
पानी जैसे बँधा प्यास से, ऐसा परिबन्धन कर लो,
सच्चे प्रेमी बन साथी से,
अपनी आँखे चार कीजिए।।
वैलेन्टाइन के अवसर पर,
सच्चा-सच्चा प्यार कीजिए।।
प्रेम-दिवस की भाँति, बसन्ती सुमनों को खिलना होगा,
रैन-दिवस की भाँति, हमें हर-रोज गले मिलना होगा,
हरी-भरी जीवन बगिया में,
नित ऐसा व्यापार कीजिए।
वैलेन्टाइन के अवसर पर,
सच्चा-सच्चा प्यार कीजिए।।
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सच्चा सच्चा प्यार करने से जीवन की बगिया हरी हो गई तो क्या होता "मयंक" जी.. :)
जवाब देंहटाएंप्यार तो प्यार ही होता है बस उसका इजहार दो के बीच ही रहे तो बेहतर है..दुनिया को दिखा कर, जता कर या जला कर ठीक नहीं..