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शनिवार, 21 फ़रवरी 2009
एक दिन प्रीत उपहार हो जायेगा।। (डॉ0 रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक)
एक दिन मीत संसार हो जायेगा।
चमचमाते रहो, जगमगाते रहो,
एक दिन प्रीत उपहार हो जायेगा।।
जीतनी जंग है जिन्दगी की अगर,
पार करनी पड़ेगी, कठिन सी डगर,
पथ सजाते रहो, आते-जाते रहो,
एक दिन राह को प्यार हो जायेगा।।
स्वप्न सुख के बुनों, खार को मत चुनो,
कुछ स्वयं भी कहो, कुछ उन्हें भी सुनो,
मुस्कुराते रहो, सबको भाते रहो,
एक दिन सुख का अम्बार हो जायेगा।।
भूल करना नही, दिल दुखाना नही,
साथ देना, कभी दूर जाना नही,
सुर मिलाते रहो, सिर हिलाते रहो,
एक दिन उनको एतबार हो जायेगा।
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जवाब देंहटाएंसरकारी नौकरियाँ
स्वप्न सुख के बुनों, खार को मत चुनो,
जवाब देंहटाएंकुछ स्वयं भी कहो, कुछ उन्हें भी सुनो,
मुस्कुराते रहो, सबको भाते रहो,
एक दिन सुख का अम्बार हो जायेगा।।
बहुत लाजवाब. शुभकामनाएं.
रामराम.
मयंक जी!
जवाब देंहटाएंआपका शब्द-चयन सुन्दर है। मैं भी गीत लिखने का प्रयास करता हूँ, परन्तु अपने भावों को कविता में पिरो नही पाता हूँ।
शास्त्री जी ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गीत के लिए मुबारकवाद।
कहाँ से आते हैं आपके मन में इतने सुन्दर भाव?
जवाब देंहटाएंआपका गीत मनमोहक है।
THIS IS VERY GOOD LINES YOU ARE BECOME A COMPLETE POET.THAT'S VERY GOOD
जवाब देंहटाएं