सात रंग में, रूप तुम्हारा,
छिपा हुआ है नया-नया।
सावन-भादों मे छायेगा,
रूप तुम्हारा नया-नया।।
सीपों के मोती में पाया,
रूप तुम्हारा नया-नया।
सागर तल में गहरायेगा,
रूप तुम्हारा नया-नया।।
रचा - बसा चन्दा-मामा में,
रूप तुम्हारा नया-नया।
रात चाँदनी में आयेगा,
रूप तुम्हारा नया-नया।।
मलयानिल के झोंको में है,
रूप तुम्हारा नया-नया।
प्रेम-दिवस पर छा जायेगा,
रूप तुम्हारा नया-नया।
बहुत सुंदर ..अच्छा लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंमलयानिल के झोंको में है,
जवाब देंहटाएंरूप तुम्हारा नया-नया।
प्रेम-दिवस पर छा जायेगा,
रूप तुम्हारा नया-नया।
--वाह!! बहुत खूब!!
waah bahut khubsurat
जवाब देंहटाएंमयंक जी!
जवाब देंहटाएंआपने बहुत अच्छा लिखा है-
मलयानिल के झोंको में है,
रूप तुम्हारा नया-नया।
प्रेम-दिवस पर रंग लायेगा,
रूप तुम्हारा नया-नया।
रूप तेरा मस्ताना कलम का तेरे मैं दीवाना
जवाब देंहटाएंरूप तेरा मस्ताना कलम का तेरे मैं दीवाना
जवाब देंहटाएंगन्दी टिप्पणी करने वाले, बेनामी ही होते है।
जवाब देंहटाएंभद्दी भाषा के बदले, अभिशापों को ढोते है।
http://www.youtube.com/watch?v=i2nfIL4zsSM (Link ko copy karke explore par paste karen)
जवाब देंहटाएंसॉरी सॉरी सॉरी सॉरी मौसा जी मैं शायरी की कोशिश कर रहा था लेकिन कुछ और ही बन गया मैं अपनी इस गुस्ताखी की क्षमा मांगता हूँ मैं आपका दिल नही दुखाना चाहता था शायरी की कोशिश में बहुत बड़ी गलती हो गई.मुझे आशा है की आप मुझे माफ़ कर देंगे आपका बेटा अनुज कश्यप प्रजापति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना है!
जवाब देंहटाएंरचा - बसा चन्दा-मामा में,
जवाब देंहटाएंरूप तुम्हारा नया-नया।
रात चाँदनी में आयेगा,
रूप तुम्हारा नया-नया।।
" bhut sunder dil ko bhaa gyi..."
Regards
इंद्रधनुष-सा रूप तुम्हारा,
जवाब देंहटाएंहर पल लगता नया-नया!
आज तलक उलझा हूँ इसमें,
और कहीं मैं नहीं गया!