कई साल पुरानी बात है। मुझे एक बारात में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। गाँव की बारात थी और उसे किसी दूसरे गाँव में ही जाना था।
नया-नया दूल्हा था, नई-नई घोड़ी थी। कहने का मतलब यह है कि घोड़ी की भी पहली ही बारात थी और दूल्हे की भी पहली ही बारात थी। घोड़ी को आतिशबाजी देखने और बैण्ड-बाजा सुनने का इससे पूर्व का कोई अनुभव नही था।
इधर दूल्हा भी बड़ी ऐंठ में था। अपनी बारात चढ़वाने के लिए वह तपाक से घोड़ी पर सवार हो गया। कुछ देर तक तो बेचारी घोड़ी ने सहन कर लिया। परन्तु जैसे ही बैण्ड बजना शुरू हुआ। घोड़ी बिफर गयी उसने धड़ाम से दूल्हे को जमीन पर पटक दिया और भाग खड़ी हुई। बारातियों ने उसे पकड़ने की बड़ी कोशिश की लेकिन उसने तो चार किलोमीटर दूर अपने घर आकर ही दम लिया।
उघर जमीन पर पड़ा दूल्हा दर्द से कराह रहा था। गाँव से डॉक्टर बुलाया गया और दूल्हे की मिजाज-पुरसी की गयी। कुछ देर बाद दूल्हे के कूल्हे का दर्द कुछ कम हुआ तो उसे दूसरी घोड़ी पर बिठाने की कोशिशे हुईं। परन्तु वह दूसरी पर बैठने को तैयार ही नही हुआ।
जैसे-तैसे रिक्शा मे ही दूल्हे को बैठा कर बारात चढायी गयी। अगले दिन बारात लौटी तो दुल्हन भी साथ थी।
अब दूल्हे के जीवन में घोड़ी तो नही, पत्नी-रूपी नारी थी। जो हर मायने में बेचारे.............पर भारी थी । शादी में घोड़ी ने पटका था, अब पत्नी बेचारे........ को रोज ही झिड़कती है।
जब उस बेचारे..............से पूछते हैं तो वह मायूसीभरा जवाब देता है- साहब जी मेरा तो शादी से ही मुहूरत खराब चल रहा है।
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जवाब देंहटाएंदुआ सब ब्लागर्स की हो तो
बिगड़ा मुहुर्त भी सुधर जाएगा.
अपने बेचारे दूल्हे राजा का घर
तमाम खुशियों से भर जायेगा.
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पोस्ट अच्छी है
गद्य अच्छा है
आपका किस्सा
सचमुच सच्चा है.
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यकीन है कि आप ऐसे ही लिखते रहेंगे
सबसे अलग ,सबसे जुदा दिखते रहेंगे !!
हादसे भी यादगार बन जाते हैं। रोचक घटना,
जवाब देंहटाएंबधाई।
यह महज इत्तफाक नही है, जिन्दगी भर न भूलने वाली यादगार है।
जवाब देंहटाएंनयी-नयी घोड़ी, नया-नया दूल्हा।
जवाब देंहटाएंअच्छा इत्तफाक है।
कहानी रोचक है।
THIS IS VERY GOOD STORY I ALREADY HEARD FROM YOU BUT IT IS STILL YOUNG AND INTERESTING
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