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शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2009
लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए (डॉ0 रूपचन्द्र शास्त्री मयंक)
लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए।
ज्ञान-गंगा बहे, शन्ति और सुख रहे-
मुस्कराता हुआ वो वतन चाहिए।।
दीप आशाओं के हर कुटी में जलें,
राम-लछमन से बालक, घरों में पलें,
प्यार ही प्यार हो, ऐसा पतवार हो-
देश में प्रान्त में अब अमन चाहिए।
लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए।।
छेनियों और हथौड़ों की झनकार हो,
श्रम-श्रजन-स्नेह दें, ऐसे परिवार हों,
खेत, उपवन सदा सींचती ही रहे-
ऐसी दरिया-ए गंग-औ-जमुन चाहिए।
लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए।।
आदमी से न इनसानियत दूर हो,
पुष्प, कलिका सुगन्धों से भरपूर हो,
साज सुन्दर सजें, एकता से बजें,
चेतना से भरे, मन-औ-तन चाहिए।
लहलहाता हुआ वो चमन चाहिए।।
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बहुत सुन्दर लिखा आपने, बधाई.
जवाब देंहटाएंकभी मेरे ब्लॉग शब्द-शिखर पर भी आयें !
चेतना से भरे, मन-औ-तन चाहिए।
जवाब देंहटाएंलहलहाता हुआ वो चमन चाहिए।।
अच्छी बात कही आपने।
ब्लागजगत में आपका स्वागत है।
bahut badiya maharaaj
जवाब देंहटाएंawashya dekhen
http://www.aajkapahad.blogspot.com/
THIS IS VERY GOOD AND APRICIATED POEM - JAI HO MAUSA JI
जवाब देंहटाएंAapne pehle kabhi apni kalam ke bare mein bataya nahi
जवाब देंहटाएंSundar abhivyakti. Swagat.
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया रचना है।बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर…आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंभावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com