"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
बुधवार, 11 फ़रवरी 2009
तकदीर बदल जाती है (डॉ0 रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
तस्वीर बदल जाती है।
पत्थर भी भगवान बनें,
तकदीर बदल जाती है।।
अपने अधरों को सीं कर,
इक मौन निमन्त्रण दे दो,
नयनों की भाषा से ही-
मुझको आमन्त्रण दे दो,
भँवरे की बिन गुंजन ही-
तदवीर बदल जाती है।
आमन्त्रण में बल हो तो ,
तस्वीर बदल जाती है।।
सरसों फूली, टेसू फूले,
फूल रहा है, सरस सुमन,
होली के रंग में भीगेंगे,
आशाओं के तन और मन,
आलिंगन के सागर में-
ताबीर बदल जाती है।
आमन्त्रण में बल हो तो,
तस्वीर बदल जाती है।।
पगचिन्हों का ले अवलम्बन,
आगे बढ़ता जाता हूँ ,
मन के दर्पण में राही की,
धड़कन पढता जाता हूँ,
पल-पल में परछांई की,
तासीर बदल जाती है।
आमन्त्रण में बल हो तो,
तस्वीर बदल जाती है।।
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
सरसों फूली, टेसू फूले,
जवाब देंहटाएंफूल रहा है, सरस सुमन,
होली के रंग में भीगेंगे,
आशाओं के तन और मन,
आलिंगन के सागर में-
ताबीर बदल जाती है।
आमन्त्रण में बल हो तो,
तस्वीर बदल जाती है।।
बहुत सुंदर लिखा आपने ..
भावभीनी स्कारात्मक रचना..
जवाब देंहटाएंआमन्त्रण में बल हो तो ,
तस्वीर बदल जाती है।
पत्थर भी भगवान बनें,
तकदीर बदल जाती है।।
तकदीर, तस्वीर, तासीर को बदलने के लिये जो चीज चाहिये वो विश्वास और कर्म ही है..
सुन्दर रचना के लिये बधाई
vakaee amantran me bal ho to tasveer badal jati hai bahut hi sunder abhivyakti hai badhaai
जवाब देंहटाएंबढ़िया है!
जवाब देंहटाएं---
गुलाबी कोंपलें
आमन्त्रण में बल हो तो ,
जवाब देंहटाएंतस्वीर बदल जाती है।।
**बहुत ही सुंदर कविता है .
धन्यवाद, आदरणीय टिप्पणीकारों!
जवाब देंहटाएंकविता कैसे की जाती है? मैं यह समझ न पाया।
माता ने ही लिखवाया है,मैंने केवल कलम चलाया।।
वाह ! बहुत ही सुंदर ,भावपूर्ण और प्रवाहमयी गीत लिखा है आपने.आनंद आ गया पढ़कर.आभार.
जवाब देंहटाएंली, टेसू फूले,
जवाब देंहटाएंफूल रहा है, सरस सुमन,
होली के रंग में भीगेंगे,
आशाओं के तन और मन,
आलिंगन के सागर में-
ताबीर बदल जाती है।
आमन्त्रण में बल हो तो,
तस्वीर बदल जाती है।।
वाह जी वाह आनंद आ गया पता नहीं क्यों इतने दिनों तक मैं इस अमृत रस रूपी ब्लाग से महरूम रह गया कभी आना हीं नहीं हुआ लेकिन अब यह गलती दोबारा नहीं कर सकता और इस अमृत का रसपान तो करूंगा ही
बहुत ही अच्छी रचनाएं लिखते हैं आप
सरसों फूली, टेसू फूले,
जवाब देंहटाएंफूल रहा है, सरस सुमन,
होली के रंग में भीगेंगे,
आशाओं के तन और मन,
आलिंगन के सागर में-
ताबीर बदल जाती है।
आमन्त्रण में बल हो तो,
तस्वीर बदल जाती है।।
माफ करना सरसों फूली कट गया था सर
का बात है शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंवाह-वाह..वह-वह
बड़े शास्त्रढंग से आजकल खूब लसिया रहे हो शास्त्री जी. रचना तो बड़ी जोरदार लिखी है.
बधाई हो बधाई.
beautifull I am your Fan now
जवाब देंहटाएं