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शुक्रवार, 6 फ़रवरी 2009
शहीदों को नमन (डॉ0 रूपचन्द्र शास्त्री मयंक)
प्राण देकर बचाया तुम्हीं ने वतन।
देश-रक्षा की खातिर जो ली थी कसम,
कारगिल होया पंजाब या हो असम,
तुमने लौटा दिया वादियों का अमन।
ऐ शहीदो तुम्हें कोटि-कोटि नमन।।
वीरता से लड़े, धीरता से लड़े,
तुम समर में सदा आगे-आगे बढ़े,
मातृ-भू पर निछावर किये अपने तन।
ऐ शहीदो तुम्हें कोटि-कोटि नमन।।
धन्य माता हुई, धन्य है यह धरा,
हो गया वो अमर, जो वतन पर मरा,
हैं समर्पित तुम्हें, वाटिका के सुमन।
ऐ शहीदो तुम्हें कोटि-कोटि नमन।।
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बहुत ही बढिया रचना है।बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंधन्य माता हुई, धन्य है यह धरा,
हो गया वो अमर, जो वतन पर मरा,
हैं समर्पित तुम्हें, वाटिका के सुमन।
ऐ शहीदो तुम्हें कोटि-कोटि नमन।।
kavita ke sath sath kavita likhne vali kalam ko bhi slaam bahut sunder rachna hai bdhai
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